
जब पाकिस्तान में पानी की बूंद नहीं बचती, तो राजनीति नदियों की तरह बहने लगती है। और इस बार बहाव इतना तेज़ हुआ कि सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर का घर ही डूब गया – आग की लहरों में।
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हाँ साहब, पाकिस्तान में अब जल संकट सिर्फ खेतों और घरों तक सीमित नहीं रहा। अब तो सत्ता के गलियारों में भी सूखा पड़ गया है — संवेदनाओं का, समझदारी का और शायद नेतृत्व का भी।
मंत्री का घर: टारगेट वॉटर-मार्क!
सिंध प्रांत में नौशहरो फिरोज जिले के मोरो तालुका में शुरू हुआ प्रदर्शन, धीरे-धीरे मंत्रीजी के बंगले तक बहता चला गया – जैसे पानी को रास्ता चाहिए, वैसे ही गुस्से को भी।
लेकिन पानी तो वहां नहीं था —
था सिर्फ ग़ुस्सा, आग, और राजनीति के खिलाफ झुलसी हुई उम्मीदें।
प्रदर्शनकारियों ने मंत्री के घर में आग लगाई, फर्नीचर को BBQ बनाया, और गार्ड्स पर ऐसे टूट पड़े जैसे वो वाटर पंप हों।
गार्ड्स ने हवाई फायरिंग की — क्योंकि ज़मीन पर तो पानी नहीं, शायद हवा में इंसाफ़ हो!
जल बंटवारा या जल ‘राजनीति’ का ड्रामा?
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सिंध को उसका पानी नहीं मिल रहा और पंजाब को वीआईपी सप्लाई दी जा रही है। मतलब, “नल में पंजाब और बाल्टी में सिंध!”
उधर पंजाब सरकार शांत है — शायद वो RO प्लांट में बैठकर बयान तैयार कर रही है।
आग और आंदोलन: जल प्रबंधन 101 – पाकिस्तान स्टाइल!
हाईवे पर खड़े ट्रकों में आग लगा दी गई। क्यों? क्योंकि पानी नहीं था, लेकिन गुस्सा भरपूर था और पेट्रोल सस्ता। लोगों ने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी उंगलियाँ उठाईं — क्योंकि जब घरों में पानी नहीं आता, तो प्रोजेक्ट्स ‘डैम’ लगते हैं।
कॉर्पोरेट फार्मिंग बनाम ‘आम किसान की टंकी’
पानी नहीं, पर कॉर्पोरेट फार्मिंग को पाइपलाइन मिल रही है, ये प्रदर्शनकारियों का आरोप है।
मतलब सरकार कह रही है —
“अमीरों के खेतों को पानी दो, गरीबों को फायर ब्रिगेड!”
मरते लोग, मगर सरकार कहती है – “सब नियंत्रण में है”
कम से कम दो लोगों की मौत की खबर है।
लेकिन सत्ता के गलियारों में शांति है – जैसे सब कुछ ‘नीचे बह गया’ हो।
वो नीचे क्या बहा है – पानी या लोकतंत्र – यह अब तय करना मुश्किल है।
पाकिस्तान का नया राष्ट्रीय खेल: जल-विवाद!
एक देश जो आतंक से लेकर तख्तापलट तक सबकुछ झेल चुका है, अब जल संकट में भी राजनीतिक हाइड्रोजन बम फोड़ने पर तुला है।
कहीं ऐसा न हो कि आने वाले दिनों में “डैम बना तो झगड़ा, डैम नहीं बना तो क्रांति!” का नया नारा लग जाए।
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